(गालगागा गागालगा गालगागा)
आज कोई संदेश आता नहीं है,
गीत कोई, कोई सुनाता नहीं है।
आज कोई संदेश आता नहीं है,
गीत कोई, कोई सुनाता नहीं है।
राम जाने क्या आज होता रहा है,
मैं जिसे बोलूँ, वह बुलाता नहीं है।
मैं खुशी अपनी बाँटना चाहता जब,
सामने कोई मुस्कुराता नहीं है।
क्या बजाता मैं, ताल कोई नहीं है,
सूर भी तो कोई सजाता नहीं है।
शुक्रिया 'सागर' मैं तहेदिल से मानूँ,
ना हसाये तो भी रुलाता नहीं है।
- 'सागर' रामोलिया
मैं जिसे बोलूँ, वह बुलाता नहीं है।
मैं खुशी अपनी बाँटना चाहता जब,
सामने कोई मुस्कुराता नहीं है।
क्या बजाता मैं, ताल कोई नहीं है,
सूर भी तो कोई सजाता नहीं है।
शुक्रिया 'सागर' मैं तहेदिल से मानूँ,
ना हसाये तो भी रुलाता नहीं है।
- 'सागर' रामोलिया
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