(१)
मन को मारो
फिर भी
जिंदा...
(२)
मन कभी
दुःशासन बनकर
करता खुद का
वस्त्राहरन...
(३)
मन
समुद्र में
डूबता,
आग में जलता,
वायु में झिडकता...
फिर भी
वैसा ही वैसा...
(४)
स्पर्धा में
मन जीतता...
(५)
मन में
बैठी 'मा'
मन को समजाती,
फिर भी
साला
न समजता...
(६)
मन को
जो मारे
वो
मुनि बन जाये...
(७)
आप हारे
फिर भी
कमल जैसा
मन जीतता...!
- 'सागर' रामोलिया
मन को मारो
फिर भी
जिंदा...
(२)
मन कभी
दुःशासन बनकर
करता खुद का
वस्त्राहरन...
(३)
मन
समुद्र में
डूबता,
आग में जलता,
वायु में झिडकता...
फिर भी
वैसा ही वैसा...
(४)
स्पर्धा में
मन जीतता...
(५)
मन में
बैठी 'मा'
मन को समजाती,
फिर भी
साला
न समजता...
(६)
मन को
जो मारे
वो
मुनि बन जाये...
(७)
आप हारे
फिर भी
कमल जैसा
मन जीतता...!
- 'सागर' रामोलिया
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