(१)
आज हम चाहे तो भी ग़म न मिले,
ग़म बढ़ानेवाली रहम न मिले।
बिना घाव के भी दर्द बढ़ाता चले,
ऐसा कोई भी हमें ज़खम न मिले।
(२)
ग़म मिले तो ग़म का ख़याल न आये,
ग़म न सह पाये ऐसा काल न आये।
'सागर' तैर जाये पकडके तिनका,
मझ़धार में रहे ऐसा हाल न आये।
- 'सागर' रामोलिया
आज हम चाहे तो भी ग़म न मिले,
ग़म बढ़ानेवाली रहम न मिले।
बिना घाव के भी दर्द बढ़ाता चले,
ऐसा कोई भी हमें ज़खम न मिले।
(२)
ग़म मिले तो ग़म का ख़याल न आये,
ग़म न सह पाये ऐसा काल न आये।
'सागर' तैर जाये पकडके तिनका,
मझ़धार में रहे ऐसा हाल न आये।
- 'सागर' रामोलिया
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