घायल हुए हैं हम दिल से,
मरे तुम्हारी क़सम दिल से।
खूब रोका किन्तु तुम्हारे बिना,
निकलते है ग़म दिल से।
दिल से दिल का नाता जोड़ना,
निभाके जाना रसम दिल से।
इतना करने से भी न मिले,
फूटे हमारें करम दिल से।
तड़पाना नहीं इस बंदे को,
इतनी करो रहम दिल से।
विरह तुम्हारा सह न पाया,
गहरा हुआ ज़ख़म दिल से।
'सागर' दीदारे-यार न हुआ,
निकल जायेंगे दम दिल से।
- 'सागर' रामोलिया
मरे तुम्हारी क़सम दिल से।
खूब रोका किन्तु तुम्हारे बिना,
निकलते है ग़म दिल से।
दिल से दिल का नाता जोड़ना,
निभाके जाना रसम दिल से।
इतना करने से भी न मिले,
फूटे हमारें करम दिल से।
तड़पाना नहीं इस बंदे को,
इतनी करो रहम दिल से।
विरह तुम्हारा सह न पाया,
गहरा हुआ ज़ख़म दिल से।
'सागर' दीदारे-यार न हुआ,
निकल जायेंगे दम दिल से।
- 'सागर' रामोलिया
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